पैसा तो भैया लाईफ में होना ही चाहिए। जिस इंसान के पास पैसा नहीं होता उसकी लोगों को बस बुराई ही नजर आती है। पैसा हो तो उस इंसान की लोग खूब इज्जत करते हैं। पीठ पीछे चाहे जो बोल लें लेकिन प्रत्यक्ष में उसका सम्मान करते हैं। साधुओं की बात और है, धन के आधार पर उन्हें सम्मान नहीं दिया जाता। लेकिन आजकल तो साधु भी धन संग्रह में रुचि लेने लगे हैं। कई बाबा तो उदयोगपतियों की तरह धनी हो गए हैं। कुछ तो अच्छे खासे व्यापारी बन गए हैं। और अर्थव्यवस्था भी खासा लाभ पहुंचा रहे हैं। इससे एक बड़ा संदेश यह जाता है कि धन हमें स्वतंत्रता देता है। हम चाहे साधारण तरीके से रहें या फिर खर्चीला जीवन अपनाएं। धन तो भैया होना ही चाहिए। बाकी इस पर किसी तरह की बहस सब बकवास है।
लाजवाब,बहुत सही कहा है आपने,द्रव्य से ही देवी और देवता भी प्रसन्न होते हैं द्रव्य से ही दुनिया के सारे काम होते हैं अगर हम किसी मंदिर में भी जाते हैं पंडित को सौ का नोट थमाते हैं तो हमें दर्शन वीआईपी गेट से कराया जाता है। पैसा हो तो हम अपनी जिंदगी के साथ-साथ दूसरों की जिंदगी भी आरामदायक बना देते हैं।
ReplyDeleteधन्यवाद
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