Thursday, December 26, 2019

डॉक्टर या नो डॉक्टर

हमारे एक मित्र शर्माजी को एक दिन पता चला की उन्हें डायबिटीज़ है। अब जब कोई रोग है तो डॉक्टर के पास जाना बनता है। सो वो पहुँच गए एक डॉक्टर के पास। उसने ब्लड टेस्ट आदि के बाद उन्हें तमाम दवाइयाँ जो उनके रक्त से शर्करा की मात्रा कम करने में सहायक होंगी लिख दीं। उन्होने उन दवाइयों का सेवन प्रारम्भ कर दिया। आज पाँच साल से भी अधिक हो गया है उन्हें उन दवाइयों का सेवन करते । अब तो वे इंसुलिन की सुइयाँ भी लेने लगे हैं। उनका इलाज चल रहा है। डॉक्टर उन्हें डायबिटीज़ से मुक्त करने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। कल वे अपने एक मित्र वर्माजी से मिले उन्हें भी डायबिटीज़ की शिकायत हो गई थी। लेकिन वे अब स्वस्थ थे। उनके मित्र ने कहा कि उन्होने अपना इलाज अपनी जीवन शैली में बदलाव ला कर किया। शारीरिक रूप से वे सक्रिय हो गए। भोजन में उन्होने बदलाव लाया। शाकाहार अपनाया। जंक फूड का पूर्णतः त्याग किया। योग और चलना फिरना अधिक कर दिया। तनाव को कम किया। हाँ, एक बात और वे किसी डॉक्टर के पास नहीं गए। ब्लड टेस्ट करवाते रहते हैं।  शर्माजी झल्ला के कह उठे- सब बकवास है!

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